पूर्व केंद्रीय मंत्री, समाजवाद के प्रखर स्तंभ, लोकप्रिय जन-प्रतिनिधि एवं बिहार के जाने – माने नेता श्री रघुवंश प्रसाद सिंह के आकस्मिक निधन से दुखी एवं स्तब्ध हूँ। वे सच्चे अर्थों में बिहार के ऐसे जन-नेता नेता थे जिन्होंने गरीबों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था।
बहु आयामी प्रतिभा के धनी रघुवंश बाबू का नाम बिहार की राजनीति में अपनी एक अलग ही पहचान रखता है। जेपी आंदोलन से क्रांतिकी मशाल जलाने वाले रघुवंश बाबू ने कभी भी सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं किया।बेदा ग़छवि के मालिक रघुवंश बाबू ने हमेशा मुद्दों पर आधारित राजनीतिकी और पूरी जिंदगी सामाजिक न्याय और शोषितों, वंचितों व पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ते रहे।
श्रद्धेय रघुवंश बाबू की जमीनी समझ और दृष्टिकोण काफी व्यापक थी।उन्हें सही मायने में ग्रामीण विकास और भारतीय कृषि व्यवस्था के जानकारों में गिना जाता है।उनके बारे में कहा जाता है कि भले ही रघुवंश बाबू दिल्ली में रहते हैं लेकिन उन्हें पता होता है कि मोतिहारी , वैशाली , दरभंगा, पटना से लेकर राजगीर तक के किसान कितना पसीना बहा रहे हैं और उन्हें क्या समस्याएं हैं ।वे बिहार के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील रहतेथे । एम्स में भर्ती के दौरान भी उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विकास के कामों की सूची दी थी ।उनके निधन से न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में एक राजनीतिक शून्य पैदा हु आहै जिसकी भरपाई संभव नहीं है।
1977 सेलेकर 1990 तक रघुवंश बाबू बिहार विधान परिषद्के सदस्य रहे। 1977 से 1979 तक उन्होंने बिहार के ऊर्जा मंत्री का पद भार संभाला। 1996 में पहली बार वे लोकसभा के सदस्य बने।वे पांच बार बिहार के वैशाली से लोकसभा सांसद चुने गए। 2004 से 2009 तक उन्होंने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया।ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए उन्होंने जो प्रतिष्ठा अर्जित की वो बहुत ऊंची थी।
दुःख की इस घड़ी में मैं स्वयं एवं पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से श्रद्धेय रघुवंश बाबू के शोकाकुल परिवार एवं सहयोगियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूँ। साथ ही भगवान से दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिवार को धैर्य और साहस प्रदान करने की प्रार्थना करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
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