देश की एकता व अखंडता के सूत्रधार एवं महान मनीषी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी एक राष्ट्रभक्त, शिक्षाविद, प्रखर राजनेता एवं समाजसेवी थे जिन्होंने खंडित भारत को अखंड बनाने हेतु अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।
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यदि आज जम्मू–कश्मीर, पश्चिम बंगाल और पंजाब भारत के अभिन्न अंग हैं तो इसका एकमात्र यश डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को जाता है।
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डॉ मुखर्जी जी एक व्यक्ति नहीं थे, विचार और विचारों के बहते प्रवाह थे। डॉ मुखर्जी जी ने कभी भी पद को महत्वपूर्ण नहीं समझा, हमेशा विचार को वरीयता दी और इसके लिए अपना सर्वोच्च बलिदान भी दिया।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बताये रास्ते पर चल कर उनके सपनों के भारत का निर्माण कर रही है।
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भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ता आज के दिन यह संकल्प लेते हैं कि डॉ मुखर्जी पश्चिम बंगाल को जिस ऊंचाई पर ले गए थे, पश्चिम बंगाल जिस गौरवशाली कला और संस्कृति के लिए जाना जाता था, हम पुनः उस ऊंचाई पर पश्चिम बंगाल को प्रतिस्थापित करेंगे।
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पश्चिम बंगाल की वर्तमान सरकार केंद्र राज्य के विकास में रुकावटें पैदा कर रही हैं, हमें ऐसी सरकार को राज्य से उखाड़ फेंकना है, यह हमारी जिम्मेवारी है।
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भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का जम्मू–कश्मीर के लिए दिल और खून का रिश्ता है क्योंकि हमारे संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने इसे अपने लहू से सींचा है।
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आज हमें गर्व है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में अगस्त 2019 में जम्मू–कश्मीर से धारा 370 और 35A धाराशायी हुई और इसके सूत्रधार बने हमारे गृह मंत्री श्री अमित शाह जी।
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राष्ट्रहित में डॉ मुखर्जी जी के तीन योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता – आजादी के पहले बंगाल का विभाजन, भारतीय जन संघ की स्थापना और कश्मीर के लिए आंदोलन।
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पश्चिम बंगाल ने देश को हमेशा ही नई दृष्टि और दिशा दी है लेकिन आज वर्तमान पश्चिम बंगाल के नेतृत्व और वहां की सरकार में राज्य की बदहाल स्थिति को देख दिल अनायास ही दुखी और द्रवित हो उठता है।
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स्थानीय भाषाओं को प्रोमोट करने के लिए उन्होंने इंग्लिश भाषा में बीए करने के बावजूद बंगाली भाषा से एमए किया। 1937 में डॉ मुखर्जी जी ने गुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को दीक्षांत समारोह में आमंत्रित किया था और उनसे बांग्ला में संबोधित करने की अपील की।
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बंगाल में अकाल के समय उन्होंने जिस तरह समर्पित भाव से जन–जन की सेवा की, उसने जन–मानस में एक अमिट छाप छोड़ी।
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डॉ मुखर्जी जी ने बंगाल और देश की भलाई के लिए पद का भी परित्याग कर दिया लेकिन आज की पश्चिम बंगाल सरकार में बैठे लोगों के लिए पद ही सब कुछ है। इसने न केवल राज्य में शिक्षा को बदहाल कर दिया है बल्कि उद्योग और व्यवसायों को भी चौपट कर दिया है।
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पश्चिम बंगाल की वर्तमान सरकार ने राज्य में हिंसा और तुष्टिकरण की राजनीति को ही अपनी नीति बनाई है। यह न तो रीजनल एस्पिरेशंस को पूरा कर पा रही है और न ही उसके कार्यों से राष्ट्रीय एकता का भाव ही परिलक्षित होता है।
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पश्चिम बंगाल सरकार कोरोना से लड़ाई में भी केंद्र का सहयोग नहीं करती जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी समग्र राष्ट्र को एक साथ ले कर कोविड-19 के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं।
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कोरोना से लड़ाई में पश्चिम बंगाल की सरकार हमारे सांसदों, विधायकों को जनता तक सहायता भी नहीं पहुंचाने देती, उनके खिलाफ केस करती है, उन्हें घर में नजरबंद करती है। जनता पश्चिम बंगाल की इस सरकार को कभी माफ़ नहीं करेगी
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज देश की एकता और अखंडता के अग्रदूत, जन संघ के संस्थापक और भारतीय विचार प्रवाह के प्रवर्तक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 119वीं जन्मजयंती के अवसर पर पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात् उन्होंने पार्टी के केंद्रीय मुख्यालय के सभागार में आयोजित विशाल वर्चुअल जन-सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम में दिल्ली के मंच पर केंद्रीय मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो, सुश्री देबोश्री चौधरी, वरिष्ठ सांसद श्री स्वप्न दासगुप्ता, युवा सांसद राजू बिष्ट के साथ-साथ पार्टी के कई वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे जबकि बंगाल से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री दिलीप घोष, पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय सचिव श्री राहुल सिन्हा, वरिष्ठ भाजपा नेता श्री मुकुल रॉय, श्री राजू बनर्जी सहित कई वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी और नेता गण उपस्थित रहे। पश्चिम बंगाल से पार्टी के सभी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी, कार्यकर्ता और लाखों की संख्या में लोग वर्चुअली इस विशाल जन-सभा जुड़े।
श्री नड्डा ने कहा कि देश की एकता व अखंडता के सूत्रधार एवं महान मनीषी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी एक राष्ट्रभक्त, शिक्षाविद, प्रखर राजनेता एवं समाजसेवी थे जिन्होंने खंडित भारत को अखंड बनाने हेतु अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। हमें अपने महा–मनीषी पर गर्व है जिसके कारण जम्मू–कश्मीर सही अर्थों में आज भारत का अभिन्न अंग बना।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि डॉ मुखर्जी जी एक व्यक्ति नहीं थे, विचार और विचारों के बहते प्रवाह थे। समग्र भारतवर्ष को मालूम है कि यदि आज जम्मू–कश्मीर और पश्चिम बंगाल यदि भारत के साथ जुड़ा है तो इसका एकमात्र यश डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को जाता है। जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने में डॉ मुखर्जी के अतुल्य बलिदान को देश कभी भूल नहीं सकता। आज उन्हीं के कारण जम्मू-कश्मीर में तिरंगा अपने पूरे शान के साथ जम्मू-कश्मीर में लहरा रहा है। देश में एक विधान, एक प्रधान और एक निशान की रक्षा के लिए अखंड भारत हेतु उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। जम्मू-कश्मीर को सही अर्थों में भारत के साथ अक्षुण्ण रखने हेतु उन्होंने राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाया जिसे व्यापक जन-समर्थन मिला। कदम-कदम पर कांग्रेस की तत्कालीन नेहरू सरकार द्वारा इस आन्दोलन को दबाने की कोशिश की गई, इसे हतोत्साहित करने के प्रयास किये गए लेकिन कांग्रेस के ये नकारात्मक प्रयास नाकाफी सिद्ध हुए। हालांकि श्रीनगर में डॉ मुखर्जी जी का रहस्यमय परिस्थितियों में देहावसान हुआ लेकिन जांच की अपील की बावजूद नेहरू सरकार द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी आकस्मिक मौत की कोई जांच नहीं कराई गई। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का जम्मू–कश्मीर के लिए दिल और खून का रिश्ता है क्योंकि हमारे संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने इसे अपने लहू से सींचा है। आज हमें गर्व है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर अगस्त 2019 में जम्मू–कश्मीर से धारा 370 और 35A धाराशायी हुई और इसके सूत्रधार बने हमारे गृह मंत्री श्री अमित शाह जी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने 23 साल की उम्र में बैरिस्टर बनने की और 33 साल की उम्र में चांसलर बनने की पात्रता प्राप्त की। स्थानीय भाषाओं को प्रोमोट करने के लिए उन्होंने इंग्लिश भाषा में बीए करने के बावजूद बंगाली भाषा से एमए किया। 1937 में डॉ मुखर्जी जी ने गुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को दीक्षांत समारोह में आमंत्रित किया था और उनसे बांग्ला में संबोधित करने की अपील की। डॉक्टर मुखर्जी लंबे समय तक बंगाल की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य रहे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में डॉ मुखर्जी जी के तीन योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता – आजादी के पहले बंगाल का विभाजन, भारतीय जन संघ की स्थापना और कश्मीर के लिए आंदोलन। आजादी के बाद संविधान सभा में बंगाल की तरफ से वे पहले प्रतिनिधि बने थे। संविधान को संपूर्ण बनाने और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने में उनका अमूल्य योगदान है। आजादी के बाद बनी सरकार में हिंदू महासभा की ओर से देश के पहले उद्योग मंत्री बने। छोटे उद्यमियों, बेरोजगारों और गरीबों के लिए उद्योग नीति पर काम करना शुरू किया। खादी ग्राम उद्योग बोर्ड की स्थापना की। करघा लगाने के उद्योग की शुरुआत की। बंगाल में अकाल के समय उन्होंने जिस तरह समर्पित भाव से जन–जन की सेवा की, उसने जन–मानस में एक अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की नीति के खिलाफ सरकार से त्यागपत्र दिया और वैकल्पिक भारत के निर्माण में जुड़े। डॉ मुखर्जी जी ने कभी भी पद को महत्वपूर्ण नहीं समझा, हमेशा विचार को वरीयता दी और इसके लिए अपना सर्वोच्च बलिदान भी दिया।
श्री नड्डा ने कहा कि बंगाल के विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल में जब हिंदुओं पर अत्याचार शुरू हुआ, त्रिपुरा, बंगाल और असम की सरहदों से हिंदू शरणार्थी धर्म बचाने के लिए भारत लौटने लगे, उस समय पंडित नेहरू ने लियाकत अली के साथ समझौते का एक मसौदा बनाया और देश की कैबिनेट के सामने रखा। डॉ श्यामा प्रसाद जी ने विरोध जताते हुए कहा कि हम हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को बढ़ावा दे रहे हैं और विरोध जता इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर भारतीय जन संघ की स्थापना की। जन संघ की स्थापना के समय किसी को भी पता नहीं था कि कभी एक नगरपालिका का भी चुनाव जीत सकेंगे या देश में सरकार बना सकेंगे। जन संघ की स्थापना देश के लिए बन रही गलत नीतियों के विरोध में की गई थी ताकि देश गलत राह में न जाए। तय यह किया गया कि देश की विदेश नीति, कृषि नीति, उद्योग नीति पश्चिमी मूल्यों पर आधारित न हो बल्कि इनमें देश की मिट्टी की सुगंध हो। दस सदस्यों के साथ शुरू हुआ जन संघ आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि लार्ड माउंटबेटन के समय भारत के विभाजन की बात चली। संयुक्त बंगाल के साथ ही संयुक्त पंजाब भी मुस्लिम बहुल था। इसलिए बात चली कि पूरा बंगाल पूर्वी पाकिस्तान और पूरा पंजाब पश्चिमी पाकिस्तान में चला जाएगा। डॉक्टर मुखर्जी ने अमृत बाजार पत्रिका के जरिए जनमत संग्रह करवाया। इसमें 98 फीसदी लोगों ने कहा कि बंगाल का विभाजन होना चाहिए और आज का पश्चिम बंगाल भारत में ही रहना चाहिए। कांग्रेस इसे मानने को मजबूर हुई। पश्चिम बंगाल और पंजाब डॉ श्यामा प्रसाद जी की वजह से ही आज भारत का अभिन्न अंग हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पश्चिम बंगाल ने देश को हमेशा ही नई दृष्टि और दिशा दी है लेकिन आज वर्तमान पश्चिम बंगाल के नेतृत्व और वहां की सरकार में राज्य की बदहाल स्थिति को देख दिल अनायास ही दुखी और द्रवित हो उठता है। वर्तमान बंगाल सरकार ने न केवल राज्य में शिक्षा को बदहाल कर दिया है बल्कि उद्योग और व्यवसायों को भी चौपट कर दिया है। डॉ मुखर्जी जी ने बंगाल और देश की भलाई के लिए पद का भी परित्याग कर दिया लेकिन आज की पश्चिम बंगाल सरकार में बैठे लोगों के लिए पद ही सब कुछ है। पश्चिम बंगाल की वर्तमान सरकार ने राज्य में हिंसा और तुष्टिकरण की राजनीति को ही अपनी नीति बनाई है। यहाँ तक कि पश्चिम बंगाल सरकार कोरोना से लड़ाई में भी केंद्र का सहयोग नहीं करती जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी समग्र राष्ट्र को एक साथ ले कर कोविड-19 के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं। कोरोना से लड़ाई में पश्चिम बंगाल की सरकार हमारे सांसदों, विधायकों को जनता तक सहायता भी नहीं पहुंचाने देती, उनके खिलाफ केस करती है, उन्हें घर में नजरबंद करती है। वर्तमान पश्चिम बंगाल सरकार न तो रीजनल एस्पिरेशंस को पूरा कर पा रही है और न ही उसके कार्यों से राष्ट्रीय एकता का भाव ही परिलक्षित होता है।
श्री नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बताये रास्ते पर चल कर उनके सपनों के भारत का निर्माण कर रही है। भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ता आज के दिन यह संकल्प लेते हैं कि डॉ मुखर्जी पश्चिम बंगाल को जिस ऊंचाई पर ले गए थे, पश्चिम बंगाल जिस गौरवशाली कला और संस्कृति के लिए जाना जाता था, हम पुनः उस ऊंचाई पर पश्चिम बंगाल को प्रतिस्थापित करेंगे। पश्चिम बंगाल की वर्तमान सरकार केंद्र राज्य के विकास में रुकावटें पैदा कर रही हैं, हमें ऐसी सरकार को राज्य से उखाड़ फेंकना है, यह हमारी जिम्मेवारी है।