मिथिला समाज सर्वग्राही और सर्वस्पर्शी है जहां अलौकिक प्रेम और सम्मान है, व्यवहार में एक अलग तरह की गर्मजोशी है। हम सबको ऐसी महानतम संस्कृति को सहेजने की जरूरत है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इसके संरक्षण के लिए कटिबद्ध है
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श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी से लेकर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी तक, सबके विचार और नेतृत्व में एक बात उभयनिष्ठ है और वह है विविधता में एकता लाते हुए सबको साथ लेकर चलना। हमारा तो मंत्र ही है – सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास
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श्रद्धेय अटल जी ने मैथिली भाषा को अष्टम सूची में डालने का महती कार्य किया, मैं आज उन्हें नमन करता हूँ। अब हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मखान के लिए अनुसंधान केंद्र खोलने का कार्य किया है और माँ जानकी के प्राकट्य स्थल पुनौरा धाम के विकास का भी लक्ष्य रखा है
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मैथिली केवल मिथिला की भाषा नहीं है, बल्कि भारत की सारगर्भित भाषा है। यह क्षेत्रीय भाषा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति को महान अर्थों में प्रदर्शित करने वाली भाषा है, हम इसके विकास के लिए कटिबद्ध हैं
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अखिल भारतीय मिथिला संघ द्वारा “विश्व मैथिली सम्मेलन” का आयोजन किये जाने का विचार स्वागतयोग्य है। मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को भी इस कार्यक्रम में लाने का प्रयास करूंगा और वे जरूर आयेंगे क्योंकि विश्व मैथिली सम्मेलन से मिथिला की संस्कृति से दुनिया रू-ब-रू होगी और इससे मानवता का ही भला होगा
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भारत के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मैंने दरभंगा में एम्स खोले जाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इस पर काफी काम हुआ है और मैं इतना आप सबसे जरूर कहना चाहूंगा कि एम्स खुलेगा तो दरभंगा में ही खुलेगा
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दरभंगा में हवाई अड्डे का विकास भी तीव्र गति से हो रहा है। जल्द ही यहाँ से उड़ान भरी जायेगी। जहाँ तक रेलवे के विकास की मांग है तो मैं इस पर माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल जी से मिथिलांचल के सांसदों के साथ चर्चा करूंगा और इस दिशा में भी कार्य होगा
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मिथिला पेंटिंग भी केवल मिथिला की ही नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक कलाकृति है जिसका उद्गम-स्थल मिथिला की पावन धरती है। गोदावरी देवी जी को पद्मश्री देकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मैथिली संस्कृति को संजोने का प्रयास किया है
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हालाँकि मैं मैथिली बोल नहीं पाता लेकिन मैं इसे पूरी तरह से समझता हूँ। इस भाषा का माधुर्य और अपनापन वाला भाव सहज ही आकर्षित करता है। मैं मैथिली के विकास के लिए सदैव प्रयास करता रहूँगा। मिथिला से मेरा भावनात्मक रिश्ता है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता
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मिथिला की शादी और शादी में बाराती बनने के सौभाग्य का जिक्र किये बगैर मिथिला की भूमिका को परिभाषित नहीं किया जा सकता। इसमें भारतीय संस्कृति की अद्भुत छटा की जो झलक मिलती है, वह हमारे गौरवमयी इतिहास को हमसे रू-ब-रू कराती है
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मिथिला के प्रतिनिधित्व में विद्वता के साथ-साथ नेतृत्व की भी नैसर्गिक क्षमता है। मिथिला का एक-एक व्यक्ति समाज को बदलने की क्षमता रखता है
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मकान, पान, माछ और दही-चूड़ा का वर्णन किये बिना मिथिला के बारे में बात करना अधूरा है और इसे शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता बल्कि इसे जिया जाता है
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज रविवार को नई दिल्ली के डॉ भीमराव अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में अखिल भारतीय मिथिला संघ के तत्वाधान में आयोजित मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह का उद्घाटन किया और मिथिला एवं मैथिली के विकास के लिए अपनी कटिबद्धता व्यक्त की। इस अवसर पर उन्होंने अखिल भारतीय मिथिला संघ की स्मारिका ‘समय संकेत’ एवं एक अन्य पत्रिका ‘तीरभुक्ति’ के दो अंकों का भी विमोचन किया। साथ ही उन्हें “मिथिलाक ववैहिक पंजी व्यवस्थाक वैज्ञानिकता” पुस्तक भी भेंट की गयी। इस अवसर पर मुख्य संरक्षक एवं राज्य सभा सांसद श्री प्रभात झा, अखिल भारतीय मिथिला संघ के अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा, महासचिव श्री विद्यानंद ठाकुर, बिहार विधान परिषद् सदस्य श्री देवेश चन्द्र ठाकुर जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री हुकुमदेव नारायण यादव, लोक सभा सांसद श्री गोपाल जी ठाकुर, श्री दिनेश चन्द्र यादव, श्रीमती रवा देवी, श्री अशोक यादव, श्री रामप्रीत मंडल, राज्य सभा सांसद श्री मनोज झा, पूर्व सांसद श्री महाबल मिश्रा, ब्रह्मोस के सीईओ श्री सुधीर कुमार मिश्रा, आईआरएस श्री अलोक कुमार झा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
श्री नड्डा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सर्वप्रथम महान कवि विद्यापति जी को श्रद्धांजलि देते हुए राजा जनक और माँ सीता की पुण्यभूमि को नमन किया और मिथिला की संस्कृति को न केवल भारतवर्ष बल्कि पूरी दुनिया का धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि हालाँकि मैं मैथिली बोल नहीं पाता लेकिन मैं इसे पूरी तरह से समझता हूँ। इस भाषा का माधुर्य और अपनापन वाला भाव सहज ही आकर्षित करता है। मैं मैथिली के विकास के लिए सदैव प्रयास करता रहूँगा। उन्होंने कहा कि मिथिला से मेरा भावनात्मक रिश्ता है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। वास्तव में मिथिला और विद्वता का अनुपम संयोग रहा है। मेरा लालन-पालन भी मिथिला के विद्वज्जनों के सान्निध्य में हुआ और आगे बढ़ने का अवसर में उन्हीं गुरुओं के मार्गदर्शन में हुआ। आज आप सबसे मिलकर पुरानी यादें ताजा हो गई हैं और अपने गुरुजनों से भी मुझे आशीर्वाद का पुनः अवसर मिला है। इसके लिए मैं आप सबका धन्यवाद करता हूँ।
कार्यकारी अध्यक्ष ने मिथिला के सांस्कृतिक विरासत की विविधता का उल्लेख करते हुए कहा कि मिथिला की शादी और शादी में बाराती बनने के सौभाग्य का जिक्र किये बगैर मिथिला की भूमिका को परिभाषित नहीं किया जा सकता। इसमें भारतीय संस्कृति की अद्भुत छटा की जो झलक मिलती है, वह हमारे गौरवमयी इतिहास को हमसे रू-ब-रू कराती है। मिथिला के प्रतिनिधित्व में विद्वता के साथ-साथ नेतृत्व की भी नैसर्गिक क्षमता है। मिथिला का एक-एक व्यक्ति समाज को बदलने की क्षमता रखता है।
श्री नड्डा ने कहा कि श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी से लेकर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी तक, सबके विचार और नेतृत्व में एक बात उभयनिष्ठ है और वह है विविधता में एकता लाते हुए सबको साथ लेकर चलना। हमारा तो मंत्र ही है – सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। मिथिला समाज सर्वग्राही और सर्वस्पर्शी है जहां अलौकिक प्रेम और सम्मान है, व्यवहार में एक अलग तरह की गर्मजोशी है। हम सबको ऐसी महानतम संस्कृति को सहेजने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि श्रद्धेय अटल जी ने मैथिली भाषा को अष्टम सूची में डालने का महती कार्य किया, मैं आज उन्हें नमन करता हूँ। अब हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मखान के लिए अनुसंधान केंद्र खोलने का कार्य किया है और माँ जानकी के प्राकट्य स्थल पुनौरा धाम के विकास का भी लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि मकान, पान, माछ और दही-चूड़ा का वर्णन किये बिना मिथिला के बारे में बात करना अधूरा है और इसे शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता बल्कि इसे जिया जाता है। आप सबसे मेरा एक ही नम्र निवेदन है कि जिस मिथिला ने अपनी महान संस्कृति को आज तक संजोकर रखा है, हमें भी इसके लिए आगे काम करने की जरूरत है।
राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि मैथिली केवल मिथिला की भाषा नहीं है, बल्कि भारत की सारगर्भित भाषा है। यह क्षेत्रीय भाषा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति को महान अर्थों में प्रदर्शित करने वाली भाषा है, हम इसके विकास के लिए कटिबद्ध हैं। उन्होंने मिथिलावासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि भारत के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मैंने दरभंगा में एम्स खोले जाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इस पर काफी काम हुआ है और मैं इतना आप सबसे जरूर कहना चाहूंगा कि एम्स खुलेगा तो दरभंगा में ही खुलेगा। मैंने अपने पिछले पटना दौरे में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी से बात कर इस पर चर्चा की थी। जल्द ही दरभंगा में नया एम्स बन कर तैयार होगा। दरभंगा में हवाई अड्डे का विकास भी तीव्र गति से हो रहा है। जल्द ही यहाँ से उड़ान भरी जायेगी। जहाँ तक रेलवे के विकास की मांग है तो मैं इस पर माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल जी से मिथिलांचल के सांसदों के साथ चर्चा करूंगा और इस दिशा में भी कार्य होगा।
अखिल भारतीय मिथिला संघ द्वारा “विश्व मैथिली सम्मेलन” का आयोजन किये जाने के विचार का स्वागत करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि आप इस सम्मेलन को अवश्य करें। मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को भी इस कार्यक्रम में लाने का प्रयास करूंगा और वे जरूर आयेंगे क्योंकि विश्व मैथिली सम्मेलन से मिथिला की संस्कृति से दुनिया रू-ब-रू होगी और इससे मानवता का ही भला होगा। उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग भी केवल मिथिला की ही नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक कलाकृति है जिसका उद्गम-स्थल मिथिला की पावन धरती है। गोदावरी देवी जी को पद्मश्री देकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मैथिली संस्कृति को संजोने का प्रयास किया है। मैं एक बार पुनः इस संस्कृति के सान्निध्य में आने और आप सबके आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करता हूँ।