हम चुनाव के मैदान में पूरी ताकत के और तैयारी के साथ डा. रमण सिंह जी के नेतृत्व में चुनाव मैदान में हैं. भाजपा सरकार द्वारा इस दस साल में किये गए कार्य के आधार पर ही हम जनादेश के लिए मैदान में हैं. हम PRO INCUMBENCY के आधार पर इस बार भी चुनावी समर में उतरे हैं. दस साल के हमारे कार्य ही हमारी चुनावी संभावनाओं का आधार है.
PDS की दुनिया भर में तारीफ़ हुई है. सुप्रीम कोर्ट तक ने केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ मॉडल लागू करने के बारे में कहा है. 42 लाख परिवारों तक 1 और 2 रूपये किलो चावल देने की सबसे पारदर्शी सबसे प्रभावी योजना के कारण प्रदेश आज भूख मुक्त हुआ है. मुफ्त नमक और बस्तर में दो किलो चना रियायती दर पर देने की योजना. इस योजना की सफलता का सबसे बड़ा सबूत यही है की पिछले दस साल में प्रदेश में भूख से मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
सभी राशन कार्ड परिवार की मुखिया महिला के नाम पर किया जाना भी women empowerment के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम.
खाद्य सुरक्षा को कानूनी अधिकार देने वाली छत्तीसगढ़ पहली सरकार.
PADDY PROCUREMENT प्रदेश में 7ooo000 करोड का 70 लाख मीट्रिक तन से ज्यादा धान 2013 में ही किया गया.
किसान हितैषी इस सरकार ने कई नए मानदंड तय किये हैं. धान खरीदी की प्रणाली समूचे देश में एक मिसाल है. प्रदेश में धान का उत्पादन 50 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 91 लाख मीट्रिक टन से भी ज्यादा हो गया है.
किसानों को कृषि लोन कभी 18 प्रतिशत ब्याज दर पर दिया जाता था. जो अब घटते-घटते 1 प्रतिशत तक ले आया गया है. किसानों को मुफ्त बिजली.
धान के बोनस के रूप में भाजपा सरकार ने 1900 करोड रूपये से ज्यादे की राशि इस वर्ष किसानों के घर तक पहुचाई है. प्रदेश को सबसे ज्यादा धान उत्पादन के लिए कृषि कर्मन पुरस्कार मिला है.
इसके अलावा देश-विदेश की अनेक एजेंसियों ने 40 से ज्यादा पुरस्कार छत्तीसगढ़ की रमन सरकार को दिया है.
बेहतर वित्तीय प्रबंधन लाखों लोगों को रोजगार देने, कर्मचारियों को छठवां वेतनमान देने, बड़े पैमाने पर अनुकम्पा नियुक्ति,पदोन्नति व अन्य सुविधाएं देने के बावजूद राज्य का स्थापना व्यय 35 प्रतिशत तक सीमित रखा गया है.
प्रदेश का बजट आकार 6000 करोड से बढ़ कर 44000 करोड से अधिक. राज्य में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 10 हजार रूपए से बढ़कर 44 हजार रूपए हो गई है. सालाना 180 प्रतिशत ग्रोथ.
प्रति व्यक्ति बिजली खपत 300 यूनिट से बढ़कर 1400 यूनिट हो गई है.
पलायन के रूप में बदनाम रहे छत्तीसगढ़ को पिछले दिनों सार्वाधिक रोज़गार पैदा करने वाले प्रदेश के रूप में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार दिया जाना भी रमन सरकार की सफलता का द्योतक है.
शिक्षा : प्रायमरी से हायर सेकेण्डरी तक 4 हजार 249 नई शालाएं खोली गई हैं. इस वर्ष 934 शालाएं खोलने तथा दो हजार नए शाला भवन बनाने की मंजूरी दी गई है. कक्षा पहली से आठवीं तक की सभी छात्राओं को तथा अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति एवं बीपीएल परिवारों के छात्रों को दो-दो सेट गणवेश देने की नई योजना शुरू की गई है। कम्प्यूटर आधारित शिक्षण योजना को 300 से बढ़ाकर 1900 शालाओं में लागू किया जाएगा। पिछड़े विकासखंडों में शिक्षा के स्तर में सुधार हेतु दर्ज़नों मॉडल स्कूल और 56 कन्या छात्रावास शुरू किए गए थे, अब ऐसे स्कूलों की संख्या सैकड़ों में पहुच गयी है.
नक्सल हिंसा प्रभावित दो सौ से अधिक बच्चे ‘प्रयास’ द्वारा इंजीनियरिंग आदि में चयनित हुए हैं.
शिक्षा कर्मी : प्रदेश करीब दो लाख शिक्षा कर्मियों को शासकीय शिक्षकों के सामान वेतन देने का निर्णय एक मात्र छत्तीसगढ़ में लिया गया है.
मुफ्त यूनिफार्म, बालिकाओं को साइकिल, मध्यान्ह भोजन सभी को आदि.
स्वास्थ्य : प्रदेश के सभी 56 लाख परिवारों को स्वास्थ्य बीमा. स्मार्ट कार्ड द्वारा 30 हज़ार तक का इलाज़ मुफ्त. इसके अलावा संजीवनी 108 योजना. महतारी एक्सप्रेस. बाल ह्रदय योजना से हजारों बच्चों के दिल का इलाज़.
बिजली के मामले में आज सरप्लस स्टेट है छत्तीसगढ़. राज्य में ऊर्जा क्रांति का विस्तार हुआ है. 1500 मेगावाट क्षमता की कोरबा पश्चिम विस्तार तथा मड़वा, तेन्दूभाठा ताप विद्युत परियोजनाएं. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप बिजलीघर ने 90प्रतिशत पीएलएफ का कीर्तिमान बनाकर राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं.
सिचाई का रकबा लगभग नहीं के बराबर था जो अब 31 प्रतिशत तक पहुच गया है.
नए जिले : प्रदेश में नौ नए जिले का निर्माण किये गए जिससे प्रशासन तक लोगों की पहुच आसान हुई है.
हमारे पास नेता, नीति, नेतृत्व, कार्यक्रम, कार्यकर्ता, विजन, संगठन है. साथ ही हमारा गौरवपूर्ण इतिहास भी रहा है. अपने इन्हीं उपलब्धियों की बदौलत हम इस बार भी जनता के सामने हैं. हमें इस बात का गर्व है की अटल जी ने छत्तीसगढ़ का निर्माण किया और प्रदेश की रमन सरकार उनके सपनों को आकार देने में लगी है.
जोगी मामला : कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा यह अपना विषय नहीं है. नेता कोई भी हो लेकिन कांग्रेस का हश्र एक ही होना है. उसकी बुरी तरह पराजय. 2003 में भय भूख और आतंक का माहौल था. उस समय भी जोगी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा गया था. 2008 में भी जोगी ही थे चुनाव में. उस समय भी कांग्रेस के पास जोगी जी का ही चेहरा था. इस चुनाव में भी बागडोर जोगी के हाथ में ही है. उनका कृतित्व और आतंकराज जनता भूली नहीं है. इस बार तो और विचित्र परिस्थिति है कांग्रेस में. पहले एक जोगी थे और इस बार तो 2-2 जोगी हैं. यह आश्चर्य की बात ज़रूर है की जोगी के इतने खराब रिकार्ड के बाद भी कांग्रेस ने उन्हें किनारे नहीं किया. जोगी को बैक डोर इंट्री (back door entry) दे दी गयी है कांग्रेस में.