भारत सदियों तक विश्वगुरु रहा है, हमने दुनिया को ज्ञान के प्रकाश से सदैव ही आलोकित किया है। नालंदा और तक्षशिला इसके भव्य उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हम भारत के उसी गौरवशाली विरासत को पुनर्स्थापित करने के लिए संकल्पबद्ध हो काम कर रहे हैं।
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युवावस्था में हमें सबसे ज्यादा स्वयं अर्थात ‘I’ पर विश्वास होता है लेकिन ‘मैं‘ अकेला कुछ भी नहीं होता। ‘मैं’ तभी सफल होता है जब वह ‘हम‘ को पहचान ले।
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चूंकि छात्रों की शैक्षणिक सफलता में आपके माता–पिता, गुरुजन और आपके आस–पास के सभी लोगों का योगदान है, इसलिए आपकी शिक्षा तभी सार्थक और फलीभूत होगी जब इनके जीवन के उत्थान में आपकी शिक्षा काम आएगी।
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का मानना था कि भारत की रीति–नीति और दर्शन से जुडी, भारत को पहचानने वाली शिक्षा नीति बनेगी, तभी उसका लाभ मिल पायेगा। उनके अनुसार शिक्षा एक निवेश है जिसके बल पर भविष्य का निर्माण होता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसी विजन के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है।
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अफोर्डेबिलिटी, एसेसिबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी को आधार बनाया गया है ताकि सबके लिए गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त होने की व्यवस्था हो, यह शिक्षा सबके लिए सुलभ और समान हो तथा छात्रों को अपनी रुचि और भविष्य के हिसाब से विषयों को चुनने की आजादी हो।
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नई शिक्षा नीति में ‘what to think’ की जगह ‘how to think’ पर जोर दिया गया है। पांचवीं क्लास तक मातृभाषा में पढ़ाई की व्यवस्था की गई है ताकि छात्रों का आधार मजबूत हो सके।
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शिक्षा रटने–रटाने की चीज नहीं, बल्कि यह कंसेप्ट और एप्लीकेशन का है। व्यवहारिक जीवन में एप्लीकेबिलिटी और कंसेप्ट पर यकीन रखें, तभी आपकी शिक्षा समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगी नहीं तो उसका कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।
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हमारी शिक्षा और हमारा सामाजिक विचार संपूर्णता में है, सबको साथ लेकर और सबके लिए की परंपरा में है। हमारे दर्शन में तो विचार को मन, बुद्धि और आत्मा के एकीकृत भाव से जोड़ कर व्यक्त किया गया है।
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एप्लीकेशन ऑफ नॉलेज को परंपरा, संस्कृति, सभ्यता और अनुभव से जोड़ना चाहिए, तभी हमारा विचार प्रासंगिक हो पायेगा।
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वास्तव में आजाद भारत की पहली शिक्षा नीति है जो देश की धरती और यहाँ की संस्कृति से जुड़ी हुई है। हजारों–लाखों सुझावों पर गौर करते हुए काफी सोच–विचार कर यह शिक्षा नीति बनाई गई है।
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जब–जब महाराणा प्रताप को याद करते हैं, तब–तब एक नई स्फूर्ति और एक नई ऊर्जा का संचार होता है। मुझे विश्वास है कि महाराणा प्रताप की की प्रेरणा से स्थापित यह विश्वविद्यालय लाखों छात्रों के स्वाभिमान को जगाते हुए उन्हें अच्छी शिक्षा देकर उसे देश और समाज के लिए उपयोगी बनाने में सफल होगा।
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आप सभी छात्र आत्मविश्वास और पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ें, दुनिया आपका इंतजार कर रही है। आपमें आगे बढ़ने की ताकत है, आपको सफलता जरूर मिलेगी।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राजस्थान के प्रतिष्ठित प्रताप विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 800 से अधिक छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रकार की डिग्री डिजिटली प्रदान किया गया। कार्यक्रम में प्रताप विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री शैलेन्द्र भदौरिया, उप-कुलपति श्री अभय कुमार, विश्वविद्यालय की ट्रस्टी श्रीमती सुरभि भदौरिया, यूनिवर्सिटी के फैकल्टी मेंबर्स, डिग्री लेने वाले छात्र-छात्राएं और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विद्वान सज्जनवृंद उपस्थित थे।
श्री नड्डा ने इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज जो भी विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करके उससे अर्जित ज्ञान के सहारे नए जीवन में प्रवेश कर रहे हैं, मैं उन सब को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ। मुझे विश्वास है कि आप अपनी शिक्षा का भरपूर उपयोग करते हुए, इसे माध्यम बनाते हुए एक सफल नागरिक के रूप में प्रतिष्ठित होंगे और देश सेवा एवं जन-सेवा के लिए समर्पित भाव से काम करेंगे।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि यह सही है कि युवावस्था में हमें सबसे ज्यादा स्वयं अर्थात ‘I’ पर विश्वास होता है लेकिन ‘मैं‘ अकेला कुछ भी नहीं होता। ‘मैं’ तभी सफल होता है जब वह ‘हम‘ को पहचान ले। आपने यूनिवर्सिटी की अपनी शिक्षा पूरी की है, आपको आज डिग्री भी मिली है, इसमें आपका योगदान है – यह सही है लेकिन इसमें केवल आपके अकेले का योगदान नहीं है बल्कि इसमें आपके माता–पिता, गुरुजन, मित्र, यूनिवर्सिटी के कर्मचारी और आपके आस–पास के लोगों का भी योगदान है। आपको अपने माँ-बाप की मेहनत का स्मरण करना चाहिए कि उन्होंने किस कष्ट में रहते हुए आपको यहाँ तक पहुंचाया है। आपको अपने गुरुजनों के आशीर्वाद का स्मरण करना चाहिए कि किस तरह उन्होंने आपकी कमियों को दूर करते हुए आपकी प्रतिभा को निखारने में मदद की है। आपको कपड़े साफ कर देने वाले, खाना बनाने वाले, चाय पिलाने वाले, सबका आभारी होना चाहिए क्योंकि उन सबका आपकी सफलता में योगदान है। और, चूंकि आपकी शैक्षणिक सफलता में आपके आस–पास के सभी लोगों का योगदान है, इसलिए आपकी शिक्षा तभी सार्थक और फलीभूत होगी जब इनके जीवन के उत्थान में आपकी शिक्षा काम आएगी। इसलिए, आपकी शिक्षा जन–कल्याण, समाज के विकास और देश के काम आ सके, इस तरह का संकल्प लेकर आपको जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। आप हमेशा अपने माँ–पिताजी और गुरुजन के ऋणी रहेंगे, इसलिए अपने जीवन में उन्हें न भूलें। उन्होंने छात्रों को अपनी कॉलेज लाइफ के बारे में बताते हुए देर रात को गर्म- गर्म खाना बना कर देने वाले, सुबह-सुबह गर्मागर्म कॉफ़ी देने वाले, एक्जाम हॉल तक पहुँचाने वाले सभी का स्मरण करते हुए उनके योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात यह होती है कि जब वह अपने छात्र को सफलता की ऊंचाई पर देखता है, इसलिए आप सभी छात्रों को अपने शिक्षकों को गर्व करने का अवसर देना चाहिए।
शिक्षा पद्धति पर चर्चा करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि शिक्षा रटने–रटाने की चीज नहीं, बल्कि यह कंसेप्ट और एप्लीकेशन का है। व्यवहारिक जीवन में एप्लीकेबिलिटी और कंसेप्ट पर यकीन रखें, तभी आपकी शिक्षा समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगी नहीं तो उसका कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। एप्लीकेशन के साथ-साथ एप्टीट्यूड और थिंकिंग भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत सदियों तक विश्वगुरु रहा है, हमने दुनिया को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया है। नालंदा और तक्षशिला इसके भव्य उदाहरण हैं। यहाँ विदेशों से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे, इतिहास इसका साक्षी रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हम भारत के उसी गौरवशाली विरासत को पुनर्स्थापित करने के लिए संकल्पबद्ध हो काम कर रहे हैं।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हमारी शिक्षा और हमारा सामाजिक विचार संपूर्णता में है, सबको साथ लेकर और सबके लिए की परंपरा में है। हमारे दर्शन में तो विचार को मन, बुद्धि और आत्मा के एकीकृत भाव से जोड़ कर व्यक्त किया गया है। जब मैं एप्लीकेशन की बात करता हूँ तो इस एप्लीकेशन ऑफ नॉलेज को परंपरा, संस्कृति, सभ्यता और अनुभव से जोड़ना चाहिए, तभी हमारा विचार प्रासंगिक हो पायेगा।
अंग्रेजों द्वारा भारत पर थोपे गए लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति पर करारा प्रहार करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि मैकाले ने अपने ऑब्जरवेशन में भारत की शिक्षा नीति और नैतिक मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि बिना भारत की सांस्कृतिक विरासत को विखंडित करते हुए, बिना फूट डाले हुए और बिना भारत की पारंपरिक शिक्षा पद्धति को ध्वस्त करते हुए भारत पर अधिकार करना संभव नहीं है। मैकाले ने एक भारत में एक ऐसे क्लास को डेवलप करने की बात की जिसका ब्लड तो इंडियन हो लेकिन इन्टेलेक्ट, टेस्ट और हैबिट्स अग्रेजों की तरह हो। और, हम उसी उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद से ग्रसित शिक्षा नीति पर चलते रहे लेकिन हम आभारी हैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जिन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया।
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वास्तव में आजाद भारत की पहली शिक्षा नीति है जो देश की धरती और यहाँ की संस्कृति से जुड़ी हुई है। हजारों–लाखों सुझावों पर गौर करते हुए काफी सोच–विचार कर यह शिक्षा नीति बनाई गई है। उन्होंने शिक्षा के बारे में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने भी भारतीय दर्शन और भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा नीति की वकालत की थी। उनका कहना था कि भारत की रीति–नीति से जुडी, भारत को पहचानने वाली, हमारे दर्शन से जुड़ी शिक्षा नीति बनेगी, तभी उसका लाभ मिल पायेगा। उनके अनुसार शिक्षा एक निवेश है जिसके बल पर भविष्य का निर्माण होता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसी विजन के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है।
श्री नड्डा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अफोर्डेबिलिटी, एसेसिबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी को आधार बनाया गया है ताकि सबके लिए गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त होने की व्यवस्था हो, यह शिक्षा सबके लिए सुलभ और समान हो तथा छात्रों को अपनी रुचि और भविष्य के हिसाब से विषयों को चुनने की आजादी हो। इस शिक्षा नीति में प्रायोगिकता और कंसेप्ट पर बल दिया गया है। साथ ही, पांचवीं क्लास तक मातृभाषा में पढ़ाई की व्यवस्था की गई है ताकि छात्रों का आधार मजबूत हो सके। नई शिक्षा नीति में ‘what to think’ की जगह ‘how to think’ पर जोर दिया गया है।
महाराणा प्रताप की धरती राजस्थान को नमन करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जब–जब महाराणा प्रताप को याद करते हैं, तब–तब एक नई स्फूर्ति और एक नई ऊर्जा का संचार होता है। मुझे विश्वास है कि महाराणा प्रताप की की प्रेरणा से स्थापित यह विश्वविद्यालय लाखों छात्रों के स्वाभिमान को जगाते हुए उन्हें अच्छी शिक्षा देकर उसे देश और समाज के लिए उपयोगी बनाने में सफल होगा। साथ ही, सभी छात्र महाराणा प्रताप एवं देश के अन्य महान मनीषियों के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज के उत्थान में अपनी शिक्षा को लगायेंगे ताकि यह देश के काम आ सके। छात्रों को आगे बढ़ने का मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि आप आत्मविश्वास और पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ें, दुनिया आपका इंतजार कर रही है। आपमें आगे बढ़ने की ताकत है, आपको सफलता जरूर मिलेगी।