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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा ‘बलिदान दिवस’ के अवसर पर आयोजन कार्यक्रम में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

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Date: 23/06/2020



आज देश की एकता व अखंडता के सूत्रधार एवं महान मनीषी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का बलिदान दिवस है और यह न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत हर भारतवासी के लिए एक महान स्मृति दिवस है।

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जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के खात्मे के बाद यह पहला बलिदान दिवस है। हमें अपने महा-मनीषी पर गर्व है जिसके कारण जम्मू-कश्मीर सही अर्थों में आज भारत का अभिन्न अंग बना। डॉ मुखर्जी जी एक व्यक्ति नहीं थे, विचार और विचार के बहता प्रवाह थे।

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समग्र भारतवर्ष को मालूम है कि यदि आज जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल यदि भारत के साथ जुड़ा है तो इसका एकमात्र यश डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को जाता है। जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने में डॉ मुखर्जी के अतुल्य बलिदान को देश कभी भूल नहीं सकता।

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देश में एक विधान, एक प्रधान और एक निशान की रक्षा के लिए अखंड भारत हेतु उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। खंडित भारत को अखंड बनाने का पहला बलिदान डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का था। देश के लिए उन्होंने पद को कभी भी महत्व नहीं दिया

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भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का जम्मू-कश्मीर के लिए दिल और खून का रिश्ता है क्योंकि हमारे संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने इसे अपने लहू से सींचा है। आज हमें गर्व है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A धाराशायी हुआ और इसके सूत्रधार बने हमारे गृह मंत्री श्री अमित शाह जी।

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राष्ट्रहित में डॉ मुखर्जी जी के तीन योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता – आजादी के पहले बंगाल का विभाजन, भारतीय जन संघ की स्थापना और कश्मीर के लिए आंदोलन। संविधान को संपूर्ण बनाने और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने में उनका अमूल्य योगदान है।

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कांग्रेस की सरकारों ने उनकी हत्या की जांच भी नहीं की। बाद में उनके बलिदान के चलते ही परमिट सिस्टम रद्द हुआ और प्रधानमंत्री की जगह कश्मीर में मुख्यमंत्री बना। तिरंगा फहराने का मार्ग प्रशस्त हुआ और आज जम्मू-कश्मीर से धारा 370 भी धाराशायी हुआ।

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डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अपना सर्वस्व देश के लिए न्योछावर कर दिया। उनके बनाए सिद्धांतों पर आज भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार चल रही है।

आज हमें डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए हमें उनका स्मरण करते हुए यह संकल्प लेना चाहिए कि जितनी सांसें बची हैं वह इस देश, पार्टी और सिद्धांतों के लिए समर्पित की जाएंगी।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज दिल्ली प्रदेश भाजपा द्वारा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि पर आयोजित ‘बलिदान दिवस’ कार्यक्रम को वर्चुअल कांफ्रेंस के जरिये संबोधित किया और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उन्होंने विस्तार से चर्चा की। उन्होंने ‘बलिदान दिवस’ कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए दिल्ली प्रदेश भाजपा को हार्दिक बधाई दी। कार्यक्रम को दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में दिल्ली प्रदेश के सभी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी, कार्यकर्ता और लाखों की संख्या में लोग वर्चुअली कार्यक्रम से जुड़े।

श्री नड्डा ने कहा कि आज देश की एकता व अखंडता के सूत्रधार एवं महान मनीषी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का बलिदान दिवस है और यह न केवल भारतीय जनता पार्टी बल्कि राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत हर भारतवासी के लिए एक महान स्मृति दिवस है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के खात्मे के बाद यह पहला बलिदान दिवस है। हमें अपने महा-मनीषी पर गर्व है जिसके कारण जम्मू-कश्मीर सही अर्थों में आज भारत का अभिन्न अंग बना। उन्होंने कहा कि डॉ मुखर्जी जी एक व्यक्ति नहीं थे, विचार और विचार के बहता प्रवाह थे। समग्र भारतवर्ष को मालूम है कि यदि आज जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल यदि भारत के साथ जुड़ा है तो इसका एकमात्र यश डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को जाता है। जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने में डॉ मुखर्जी के अतुल्य बलिदान को देश कभी भूल नहीं सकता। आज उन्हीं के कारण जम्मू-कश्मीर में तिरंगा अपने पूरे शान के साथ जम्मू-कश्मीर में लहरा रहा है। देश में एक विधान, एक प्रधान और एक निशान की रक्षा के लिए अखंड भारत हेतु उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। खंडित भारत को अखंड बनाने का पहला बलिदान डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का था। पूज्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की माताजी ने उनके देहावसान के बाद पंडित नेहरू को उनके देहावसान की जांच कराने की अपील की लेकिन कांग्रेस सरकार द्वारा इसकी जांच नहीं कराई गई। रहस्यमय परिस्थितियों में डॉ मुखर्जी की शहादत हुई। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का जम्मू-कश्मीर के लिए दिल और खून का रिश्ता है क्योंकि हमारे संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने इसे अपने लहू से सींचा है। आज हमें गर्व है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A धाराशायी हुआ और इसके सूत्रधार बने हमारे गृह मंत्री श्री अमित शाह जी।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने 23 साल की उम्र में बैरिस्टर बनने की और 33 साल की उम्र में चांसलर बनने की पात्रता प्राप्त की। डॉक्टर मुखर्जी लंबे समय तक बंगाल की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य रहे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में डॉ मुखर्जी जी के तीन योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता – आजादी के पहले बंगाल का विभाजन, भारतीय जन संघ की स्थापना और कश्मीर के लिए आंदोलन। आजादी के बाद संविधान सभा में बंगाल की तरफ से वे पहले प्रतिनिधि बने थे। संविधान को संपूर्ण बनाने और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने में उनका अमूल्य योगदान है। आजादी के बाद बनी सरकार में हिंदू महासभा की ओर से देश के पहले उद्योग मंत्री बने। छोटे उद्यमियों, बेरोजगारों और गरीबों के लिए उद्योग नीति पर काम करना शुरू किया। खादी ग्राम उद्योग बोर्ड की स्थापना की। करघा लगाने के उद्योग की शुरुआत की।

श्री नड्डा ने कहा कि बंगाल के विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल में जब हिंदुओं पर अत्याचार शुरू हुआ, त्रिपुरा, बंगाल और असम की सरहदों से हिंदू शरणार्थी धर्म बचाने के लिए भारत लौटने लगे, उस समय पंडित नेहरू ने लियाकल अली के साथ समझौते का एक मसौदा बनाया और देश की कैबिनेट के सामने रखा। डॉ श्यामा प्रसाद जी ने विरोध जताते हुए कहा कि हम हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को बढ़ावा दे रहे हैं और विरोध जता इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर भारतीय जन संघ की स्थापना की। जन संघ की स्थापना के समय किसी को भी पता नहीं था कि कभी एक नगरपालिका का भी चुनाव जीत सकेंगे या देश में सरकार बना सकेंगे। जन संघ की स्थापना देश के लिए बन रही गलत नीतियों के विरोध में की गई थी ताकि देश गलत राह में न जाए। तय यह किया गया कि देश की विदेश नीति, कृषि नीति, उद्योग नीति पश्चिमी मूल्यों पर आधारित न हो बल्कि इनमें देश की मिट्टी की सुगंध हो। दस सदस्यों के साथ शुरू हुआ जन संघ आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बंगाल को बचाने में भी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का अहम योगदान रहा है। लार्ड माउंटबेटन के समय भारत के विभाजन की बात चली। संयुक्त बंगाल के साथ ही संयुक्त पंजाब भी मुस्लिम बहुल था। इसलिए बात चली कि पूरा बंगाल पूर्वी पाकिस्तान और पूरा पंजाब पश्चिमी पाकिस्तान में चला जाएगा। डॉक्टर मुखर्जी ने अमृत बाजार पत्रिका के जरिए जनमत संग्रह करवाया। इसमें 98 फीसदी लोगों ने कहा कि बंगाल का विभाजन होना चाहिए और आज का पश्चिम बंगाल भारत में ही रहना चाहिए। कांग्रेस इसे मानने को मजबूर हुई। कोलकाता और पश्चिम बंगाल डॉ श्यामा प्रसाद जी की वजह से ही आज भारत का अभिन्न अंग हैं।

श्री नड्डा ने कहा कि कश्मीर भारत का हिस्सा है तो इसका श्रेय भी डॉ श्यामा प्रसाद जी को ही जाता है। पंडित नेहरू की गलत नीतियों के कारण गलत समय पर सीजफायर किया गया। शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री बना दिया गया। आदेश निकाला गया कि कश्मीर में जाने के लिए हिंदुस्तानियों को परमिट की जरूरत पड़ेगी और वहां तिरंगा नहीं फहराया जाएगा। डॉक्टर मुखर्जी ने एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे का नारा दिया। परमिट के विरोध में डॉक्टर मुखर्जी कश्मीर गए। उन्हें पंजाब का बॉर्डर खत्म होने पर रोका नहीं गया और कहा कि आपको परमिट से मुक्ति दी जाती है। कश्मीर में उन्हें लॉ एंड ऑर्डर का हवाला देकर गिरफ्तार किया गया। अगर पंजाब में उनकी गिरफ्तारी होती तो पंजाब की कोर्ट में जाते लेकिन उन्हें पंजाब में नहीं रोका गया बल्कि कश्मीर में गिरफ्तार किया गया ताकि उन्हें भारतीय संविधान का संरक्षण न मिले। उन्हें जेल के नाम पर एक झोपड़ी में बगैर मेडिकल सुविधाओं के माइनस डिग्री ठंड में रखा गया। बुखार होने के चलते बाद में 23 जून सुबह तीन बजकर 40 मिनट पर उनकी मृत्यु होने की जानकारी दी गई। कांग्रेस की सरकारों ने उनकी हत्या की जांच भी नहीं की। बाद में उनके बलिदान के चलते ही परमिट सिस्टम रद्द हुआ और प्रधानमंत्री की जगह कश्मीर में मुख्यमंत्री बना। तिरंगा फहराने का मार्ग प्रशस्त हुआ और आज जम्मू-कश्मीर से धारा 370 भी धाराशायी हुआ।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अपना सर्वस्व देश के लिए न्योछावर कर दिया। उनके बनाए सिद्धांतों पर आज भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार चल रही है। आज हमें डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए हमें उनका स्मरण करते हुए यह संकल्प लेना चाहिए कि जितनी सांसें बची हैं वह इस देश, पार्टी और सिद्धांतों के लिए समर्पित की जाएंगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि राजनीति में पद से नहीं, विचार के साथ अपने-आप को जोड़िये।

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